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शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के फ़ायदे

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के फ़ायदे –

नमस्कार दोस्तों ॐ नमः शिवाय, आज के इस लेख में, आपको  बताएँगे की हमें शिवलिंग पर बेलपत्र क्यों चढ़ाना चाहिए है, और साथ ही साथ हम आपको इसके क्या फायदे है, इसके बारे में बताएँगे और बेलपत्र को अति शुभ क्यों माना जाता है| इन सभी प्रश्नों के जवाब के लिए इस लेख को शुरू से अंत तक जरुर पढ़े|

सावन के महीने में विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र शामिल किये जाते है| क्योकि बेलपत्र के बिना भोले नाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है|  भगवान भोले नाथ को  बेलपत्र अतिप्रिय है| और शिवलिंग पर  बेलपत्र चढाने से भगवान शिव शम्भु जल्दी प्रसन्न होते है| भगवान शिव के हर अनुष्ठान में बेलपत्र का प्रयोग किया जाता है|

बेलपत्र के वृक्ष को सदैव देवमय तथा तीर्थ मय माना जाता है| भगवान शिव को बेल पत्र हमेशा तीन पत्ती वाला ही चढाना चाहिए| तीन से कम पत्ती वाला बेलपत्र वर्जित माना गया है| आप तीन से ज्यादा पत्ती वाला बेल पत्र चढा सकते है| 

बेलपत्र में तीन पत्तिया त्रिदेव ( भगवान ब्रह्मा , विष्णु और महेश) तीनो का प्रतीक माना जाता है|

तीन पत्तियो को भोले नाथ के डमरू, त्रिशूल और त्रिनेत्र  का भी प्रतीक भी माना जाता है|

बेलपत्र की तीन पत्तियों को धर्म ,अर्थ और काम भी बताया गया है|

जिसको शिवलिंग पर अर्पण  करके मोक्ष प्राप्त कर सकते है बेल पत्र का वृक्ष बहुत  शीतल  होता है| जिससे सकारात्मक  उर्जा का प्रवाह  होता है| और नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है| भोलेंनाथ को बेल पत्र चढाने  से उनका शीश शीतल रहता है| जिससे भोले नाथ प्रसन्न रहते है| 

सदैव साफ-सुथरे बेल पत्र ही  नर्मदेश्वर शिवलिंग पर चढाना चाहिए, कभी भी बेलपत्र टूटे फटे नही चढाना चाहिए | बेल पत्र सख्या में ११ हो तो ज्यादा लाभदायक होते है| भोले नाथ पर बेलपत्र चिकनी सतह की तरफ से ही  चढाना चाहिए| 

बेलपत्र के वृक्ष  की उत्पति कैसे हुई – bel patra meaning in hindi || bel patra tree

ऐसी मान्यता है की जब भोले नाथ ने विष-पान किया था| जब विष की गर्मी उनके पुरे शरीर में फेल गयी थी तब देवताओ ने उनके शीश पर जल चढाया, परन्तु कोई भी असर नही हुआ, तब देवताओ ने भोले नाथ को बेल वृक्ष के पत्ते खिलाये थे तभी उनके शरीर में शीतलता हुई,तभी से भोले नाथ को बेलपत्र  चढाना प्रारम्भ हुआ 

पुरानो के अनुसार, एक बार माता पार्वती को पसीना आया तो उन्होंने अपने सर के  पसीने को पोछने के लिए अपनी उगलियों के सहारे पसीने को पोछा तो कुछ बुँदे एक पर्वत पर गिर गयी तभी वहाँ एक वृक्ष का जन्म हुआ, जिसे बेल वृक्ष कहा जाता है, बेलपत्र के वृक्ष में शाक्षात माँ पार्वती का वास होता है | 

बेल पत्र  चढाने के लाभ || bel patra ke fayde || bel patra benefits in hindi || bel patra leaves benefits in hindi

1.शिवलिंग पर एक -एक बेलपत्र  चढाने से हजारो कन्या दान का पूण्य मिलता है

2. सावन माह में प्रतिदिन शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पण करने से भोले नाथ का सानिध्य प्राप्त होता है 

3. बेलपत्र को दूध में डूबा कर शिवलिंग का अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है 

4. शिवलिंग पर उपासक को अपनी उम्र की सख्या के बराबर बेलपत्रों के ऊपर ॐ नमःशिवाय लिख कर   चढाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है 

5. बेल पत्र को नमःशिवाय का जप करते हुए नित्य प्रति शिवलिंग पर  चढाने से भोले नाथ प्रसन्न होते है तथा धन,धन्य और समर्धि की प्राप्ति होती है 

6. बेल पत्रों के स्पर्स मात्र से सभी पापो का नाश होता है और शांति की प्राप्त  होती है .

7. शिवलिंग पर बेलपत्र से अभिषेक करने पूण्य प्राप्त होता है और जीवन सुखमय होता है 

8. शिवलिंग को जल के साथ बेल पत्र अर्पण करने से भोले नाथ का मस्तिष्क शीतल रहता है जिससे भोले नाथ प्रसन्न रहते है 

9. भोले नाथ को बेल पत्र  चढाने से मनचाहा जीवन साथी मिलाता है तथा वैवाहिक जीवन सुख से व्यतीत होता है 

10. 11 पत्तो वाला बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है 

चार पत्तियों वाले बेलपत्र चमत्कारी क्यों होते है – bel patra with four leaves

सावन में भगवान शिव जी को बेलपत्र बहुत ही प्रिय होते हैं। वहीं तीन पत्तियों वाले बेलपत्र तो आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन चार पत्तियों वाले बेलपत्र बहुत ही चमत्कारी और अद्भुत होते हैं। विद्वानों का कहना है कि यह चार पत्तियों वाले बेल पत्र दुर्लभ माना गया है। इस तरह के बेल पत्र में यदि राम का नाम लिखकर उसे शिवजी को अर्पित कर दिया जाए तो उसका अनंत फल प्राप्त होता है।

बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र (Belpatra Mantra)-bel patra arpan mantra

नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने चनमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय।

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